वर्ग-7, संस्कृत- अमृता, पाठ-1. वंदना, 06-04-2020

वर्ग- 7                     प्रथमः पाठ: वंदना  

बच्चों, किसी कार्य का आरम्भ स्तुति, प्रार्थना या वंदना से किया जाता है | इसमें यह भावना होती है कि हमारा कार्य अच्छी तरह चलेगा और बिना विघ्न-बाधा के पूरा हो जाएगा | इसीलिए पाठशालाओं में भी शिक्षण कार्य का आरम्भ प्रार्थना से होता है | प्रार्थना आस्तिकता का संकेत देती कि हम किसी दिव्य-शक्ति में विश्वास करते हैं | संस्कृत के सभी ग्रन्थ मंगलाचरण के रूप में प्रार्थना से ही आरम्भ होते हैं |

तो आइये आज इसी कड़ी में मैं आपको वर्ग-सातवीं के प्रथम पाठ की ‘वंदना’ शीर्षक के श्लोकों को हिंदी अनुवाद सहित सुनाता हूँ|

प्रस्तुत पाठ में संसार के सृष्टिकर्ता परमात्मा की वंदना विभिन्न पौराणिक श्लोकों में की गई है | ज्ञान का आरम्भ परम प्रभु की स्तुति से ही हो यह इस पाठ का लक्ष्य है | परमात्मा जगत के सभी कार्यों के संचालक तथा बिना माँगे सब-कुछ देने वाले हैं | इसलिए सबका कर्तव्य है कि उनकी वन्दना गान सहित करें | अब श्लोकों को देखते हैं :-

1 )        नमस्ते विश्वरूपाय प्राणिनां पाल्काय ते |      जन्म-स्थिति-विनाशाय विश्व वन्धाय बन्धवे ||                                                              अर्थात, हे विश्वरूप अर्थात जिनका समस्त रूप ही संसार है, सभी प्राणियों के पालन करने वाले, आपको मेरा प्रणाम है | हे प्राणियों के रचनाकार, पालनहार तथा संहारक देव आप संसार में सभी वन्धु-वान्धवों द्वारा वन्दनीय हैं |

2)         प्रसादे यस्य सम्पतिः विपत्ति कोपने तथा |    नमस्तस्मै विशाले शिवाय परमात्मने ||                                                                         अर्थात, जिनके कृपा होने पर धन-धान्य तथा क्रोध होने पर उसी प्रकार से विपत्ति आती है उस शिव रुपी विशाल परमात्मा को मेरा नमस्कार है |

3)         ज्ञानं धनं सुखं सत्यं तपो दान्मयाचितम |    प्रसादे यस्य लभते मानव स्तं नमाम्यहम ||                                                 अर्थात, जो मनुष्यों को बिना मांगे ज्ञान, धन, सुख, सत्य एवं तपस्या का दान दे देते हैं, ऐसे ईश्वर को मेरा प्रणाम है |

4)         नमामि देवं जगदीशरूपं स्मरामि रम्यं च जगत्स्वरूपं |  वदामि तद-वाचक-शब्दवृन्दं महेश्वरम देवगनैरगम्यम ||

अर्थात, मैं ऐसे जगत रूप में निवास करने वाले सुंदर जगदीश्वर को स्मरण करते हुए नमस्कार करता हूँ जो देव्समूहों के द्वारा भी प्राप्त नहीं करने योग्य देवबोधक शब्द समूहों को बोलकर प्रणाम करता हूँ | अर्थात जो शब्द देवताओं को भी प्राप्त नहीं उस शब्दों द्वारा मैं आपको प्रणाम करता हूँ |

तो इसप्रकार से इस अध्याय के सभी चारों श्लोक और उनके अर्थ समाप्त हुए | पाठ के सम्पूर्ण सार की और ध्यान दिया जाए तो मैं ये कहना चाहूँगा कि प्रार्थना अपने आराध्यदेव या सबके आराध्य परम प्रभु की की जाती है | सर्वधर्मसमभाव की दृष्टि से परमेश्वर या परम प्रभु की वंदना सर्वत्र वांछनीय है क्योंकि उनमें किसी प्रकार का पक्षपात या वैषम्य नहीं है | वे ही जगत के सृष्टिकर्ता, पालक तथा संहारक भी हैं | जगत की सारी व्यवस्था का संचालन उन्हीं से होता है | उनकी प्रसन्नता में समस्त प्राणियों का कल्याण निहित है और उनका क्रोध संकट में लाता है | कोई अपने कर्तव्य से च्युत होता है तो वह परमात्मा का कोपभाजन बनता है | ईश्वर की वंदना उनकर प्रति कृतज्ञता का निविदां है |  भारतवर्ष में वेद, उपनिषद, पुराण, तथा अन्य सभी ग्रन्थ ईश् वंदना से भरे हैं | पुराणों में विविध देवों के रूप में भी परमेश्वर की स्तुति की गई है | ऋग्वेद में कहा गया है – एकं साद विप्रा बहुधा वदन्ति | अर्थात एक ही तत्व की स्तुति अनेक रूपों में होती है | हम जिस रूप में वन्दना क्र रहे हैं वह परमात्मा की ही वंदना है |

धन्यवाद |

2,859 views

You may also like

class 8 विषय संस्कृत व्याकरण प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता दिनांक :- 16/05/2020 (D-30)
/
117 views
कक्षा :- अष्टम , विषय :- संस्कृत व्याकरण प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, अध्यापक :- आचार्य गोपाल जी संस्कृत व्याकरण प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता जिसमें
Class 7 संस्कृत व्याकरण प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, दिनांक :- 16/05/2020 (D-30)
/
131 views
कक्षा :- सप्तम विषय :- संस्कृत व्याकरण प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, अध्यापक :- आचार्य गोपाल जी संस्कृत व्याकरण प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता जिसमें वर्ण
Day 30 : Class-7 : सुरक्षित शनिवार : सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन पर आधारित Quiz
/
126 views
आज की कक्षा की शुरुआत 'सुरक्षित शनिवार' से होगी। इसके अंतर्गत आज #राष्ट्रीय_डेंगू_दिवस के अवसर पर बच्चों को डेंगू बीमारी के बारे में बताया जाएगा। कक्षा के दूसरे भाग में Quiz अयोजित होगी
Day 08 : Class 7 : भूगोल : टॉपिक - चट्टान एवं खनिज
/
116 views
आज की कक्षा में अध्याय 2 का परिचय देखेंगे। इसके तहत चट्टान एवं खनिज के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करेंगे। चट्टानों के बनने की प्रक्रिया के बारे में जानेंगे।
Day - 7 : भूगोल {हमारी दुनियां भाग-2} : अध्याय-1 : पृथ्वी के अंदर ताँक-झाँक
/
150 views
भूगोल की कक्षा में अध्याय-1 पृथ्वी के अंदर ताँक-झाँक के अंतर्गत पृथ्वी के आंतरिक संरचना के बारे में पढ़ेंगे। पृथ्वी के विभिन्न परतों के नाम एवं उसमें पाए जाने वाले रासायनिक तत्वों की भी जानकारी प्राप्त करेंगे। 
Day 4 : History : Chapter-1 : कब, कहाँ और कैसे?
/
103 views
इतिहास : कक्षा - 7 : अध्याय - 1 कब, कहां और कैसे आज की कक्षा में मध्यकाल के आर्थिक क्रियाकलापों के विषय में पढ़ेंगे। इस क्रम में कृषि के बारे में पढ़ेंगे।
Day-13 : Class-7 : Chapter-2 : चट्टान एवं खनिज : टॉपिक - खनिजों का वर्गीकरण
/
200 views
आज की कक्षा में चट्टानों के वर्गीकरण के बारे में बताया गया है। जिसके अंतर्गत हम पहले खनिज को दो वर्गों में विभक्त करते हैं ; (1) धात्विक (2) अधात्विक ।
Motion and Time
/
88 views
Time period ko padhaya gya
class 7 विषय :- संस्कृत व्याकरण णत्व एवं षत्व विधान दिनांक :- 15/05/2020 (D-29)
/
209 views
कक्षा :- सप्तम , विषय :- संस्कृत व्याकरण णत्व एवं षत्व विधान , अध्यापक :- आचार्य गोपाल जी आज की कक्षा की शुरुआत सुभाषितानि से होगी उसके बाद पिछली कक्षा पर प्रकाश डालेंगे । गृह कार्य का मिलान के उपरांत आज णत्व
class 8 संस्कृत व्याकरण णत्व एवं षत्व विधान दिनांक :- 15/05/2020 (D-29)
/
337 views
कक्षा :- अष्टम , विषय :- संस्कृत व्याकरण णत्व एवं षत्व विधान , अध्यापक :- आचार्य गोपाल जी आज की कक्षा की शुरुआत नीति श्लोक से होगी उसके बाद पिछली कक्षा पर प्रकाश डालेंगे । गृह कार्य का मिलान के उपरांत
Page 24 of 30
Author:

मैं, त्रिपुरारि राय, ग्राम-नौहट्टा, जिला सहरसा बिहार से हूँ | मेरे पिता, श्री गुरुदेव राय, बिहार सरकार के PHED विभाग में इंजिनियर पद से रिटायर हैं| मेरी माँ, क्रांति देवी, बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में शिक्षिका हैं |मैं बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में एक शिक्षक हूँ | मैं अध्ययन-अध्यापन के अलावे और भी कई कलाओं में रूचि रखता हूँ | मुझे गायन, चित्रकारी, कविता-कहानी लेखन, खाना बनाने, हेंडीक्राफ्ट, डेकोरेशन वर्क आदि का शौक है | मेरे दादाजी पंडित सहदेव कवि संस्कृत के प्रकांड विद्वान् थे | एल.आर.शर्मा द्वारा लिखित ब्रह्मभट्टचरितम में उनकी जीवनी पढ़ी जा सकती है |मुझे सामाजिक कार्यों से जुड़ने की प्रेरणा भी आदरणीय एल.आर.शर्मा जी से ही मिली थी जब मैं 12 वर्ष की उम्र का था | वे मेरे पत्राचार से प्रभावित होकर ब्रह्मभट्टचरितम के प्रथम संस्करण में मेरे बारें में भी लिखे | तब से निरंतर समाज के प्रति मेरा लगाव बढ़ता गया |

Leave a Reply