दिनाँक-15.05.2020,दिन29 वर्ग 6, विषय संस्कृत ,आज की कक्षा की शुरुआत प्रतिदिन की भांति हम एक सुविचार से करते हैं जो कि इस प्रकार हैं- "अनाहूत प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते।
अविश्वस्ते विश्वसिति मूढचेता नराधमः।"
दिनांक 18 .05. 2020 ,31 वां दिन ,वर्ग 6 ,विषय संस्कृत की कक्षा में पूर्व की भांति आज हमने गीता के श्लोक से शुरुआत की जो इस प्रकार हैं यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:। अभ्युत्थानमधर्मस्य तादात्मनम सृजाम्यहम।
दिनांक 20 .05.2020, वर्ग 6, दिवस 33, विषय संस्कृत आज कक्षा की शुरुआत हमने प्रतिदिन की भांति एक नीति श्लोक से किया जो कि इस प्रकार हैं -अयं निज: परो वेति गणना लघु चेतसाम् ।
उदारचरितानां तु वसुधैवकुटुंबकम ।।
आज दिनांक 21 .05 .2020 दिवस 34 ,वर्ग 6, विषय- संस्कृत की कक्षा की शुरुआत एक सुविचार से किया जो कि इस प्रकार हैं -"मुश्किलों का आना पार्ट ऑफ लाइफ है और उनमें से हंसकर बाहर आ जाना आर्ट ऑफ लाइफ है।" तत्पश्चात प्रतिदिन की भांति हमने कुछ प्रश्नोत्तरी की जो इस प्रकार हैं
1.श्रीमद्भगवद्गीता में दलदल किसे कहा गया है?
2. गुढार्थदीपिका टीका के रचयिता कौन हैं ?
3.गीता का श्रवण सबसे प्रथम किसने किया ?
4.गीता में प्रयुक्त छंद कौन सा है ?
5.गीता रूप मंत्र माला के ऋषि कौन हैं
दिनांक 22.05.2020 दिवस 35 वा वर्ग-6 विषय संस्कृत की कक्षा की शुरुआत हमने प्रतिदिन की भांति एक सुविचार से किया जो कि इस प्रकार है-" पहचान से मिला काम थोड़े थोड़े समय के लिए रहता है लेकिन काम से मिली पहचान हमेशा के लिए रहती है"।