अध्यापक:- आचार्य गोपाल जी
आज संस्कृत व्याकरण में वर्ण के भेद स्वर वर्ण व्यंजन वर्ण के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे साथ साथ कुछ वर्णों के संयोग की विधि का अध्ययन करेंगे
आज संख्या ज्ञान की चर्चा करते हुए कल के वर्ग को आगे बढ़ाते हैं कल हमने एक से लेकर 3 तक की संख्याओं का ज्ञान पाया था और आज हम पुनः 4 से 10 तक की संख्याओं का ज्ञान प्राप्त करेंगे
हम पाठ की विषय वस्तु की ओर बढ़ते हैं कल हमने 1 से 10 तक की संख्याओं को संस्कृत में कैसे लिखते हैं ?उसका वाक्य में किस प्रकार प्रयोग करते हैं? यह देखा था। आज हमने 11 से लेकर 20 तक की संख्याओं को चार्ट के माध्यम से देखा और उसका उच्चारण के साथ ही अनेक शब्दों के साथ उसके वाक्य में प्रयोग करते हुए वाक्य बनाने का सीखा
आज दिनांक 09.05. 2020 दिवस 24 ,वर्ग 6 विषय, संस्कृत दिन शनिवार ,आज हमने अपने कक्षा की शुरुआत एक मोटिवेशनल सुविचार से किया जो कि इस प्रकार है "सलाह हारे हुए की तजुर्बा जीते हुए का और दिमाग खुद का इंसान को कभी हार नहीं देता"।
आज दिनांक 11.05.2020 दिवस 25वां ,वर्ग 6 ,विषय- संस्कृत, दिन सोमवार ।आज हम पाठ-3 के अभ्यास प्रश्न्नों को हल करेें ।शुरुआत 1 सुविचार से किया जो कि इस प्रकार है "मंजिल चाहे कितनी भी ऊंची क्यों ना हो उसके रास्ते हमेशा पैरों के नीचे से ही जाते हैं"
कक्षा के मुख्य बिंदु गम् धातु के रूप पर आते हैं और आज हमने चार्ट के माध्यम से लट् लकार और लङ्गं लकार के रूप को देखा। उसके साथ ही उनसे वाक्य कैसे बनते हैं और उनके क्या रूप होते हैं इसके बारे में जानकारी प्रदान की
आज के मुख्य विषय बिंदु लकार पर चर्चा करते हुए लृट् लकार की ओर बढ़ेंगे। लृट् लकार के सूत्र को चार्ट के माध्यम से दिखाते हुए, गम धातु के साथ उदाहरण और अनुवाद बताया ।
आज दिनांक 25 मार्च 2020 को कक्षा सात में एक नया पाठ शुरुआत किया गया। अध्याय 5 पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन को विभिन्न क्रियाकलापों द्वारा बच्चों को समझाया गया।
दिनाँक-15.05.2020,दिन29 वर्ग 6, विषय संस्कृत ,आज की कक्षा की शुरुआत प्रतिदिन की भांति हम एक सुविचार से करते हैं जो कि इस प्रकार हैं- "अनाहूत प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते।
अविश्वस्ते विश्वसिति मूढचेता नराधमः।"
दिनांक 18 .05. 2020 ,31 वां दिन ,वर्ग 6 ,विषय संस्कृत की कक्षा में पूर्व की भांति आज हमने गीता के श्लोक से शुरुआत की जो इस प्रकार हैं यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:। अभ्युत्थानमधर्मस्य तादात्मनम सृजाम्यहम।